पाप, अन्याय, अधर्म और निर्दयता ने, अपना पैर पसराया है। पाप, अन्याय, अधर्म और निर्दयता ने, अपना पैर पसराया है।
हम पर्वतों पे चलते है जो संग है आकाश के, संभल संभल के रखते अपने शब्द हम जबान पे, सामना हो जाए जो छ... हम पर्वतों पे चलते है जो संग है आकाश के, संभल संभल के रखते अपने शब्द हम जबान पे...
राम जी ! आवहु फिर इक बार। मात पिता कौं कंस त्रास दैं पीर को नहि उपचार। राम जी ! आवहु फिर इक बार। मात पिता कौं कंस त्रास दैं पीर को नहि उपचार।
एक धोबी कहे अपनी स्त्री को चली जा, अब नहीं तेरा ये घर । एक धोबी कहे अपनी स्त्री को चली जा, अब नहीं तेरा ये घर ।
श्री रघुवीर के मन में आया यज्ञ किये मैंने बहुत से अशवमेघ यज्ञ अब करूँ मैं । श्री रघुवीर के मन में आया यज्ञ किये मैंने बहुत से अशवमेघ यज्ञ अब करूँ मै...
रथ में रावण था अगले दिन तेज चले जो पवन समान। रथ में रावण था अगले दिन तेज चले जो पवन समान।